ग़ज़ल लिखोगे या नज़्म लिखोगे,
मुझे लिखोगे या कायनात को लिखोगे।
बताओ ज़रा,
आज तुम किस पे लिखोगे।
कई दिन हो गए कलम को छुआ तक ना था तुमने,
फिर आज ये कलम उठाई क्यों है?
बताओ ज़रा,
इतने दिनों बाद फिर ये तुम्हारे हाथों में आई क्यों है।
तन्हाई जब सता रही थी,
क्या तुम्हें मेरी याद आ रही थी।
बताओ ज़रा,
क्या धड़कन तुम्हारी मेरा नाम गुनगुना रही थी।
~रीना कुमारी प्रजापत