हमको तो उनकी मुहब्बत पर, यकीं अब वो नहीं..
असमां तो वहीं है, मगर क्यूं ये ज़मीं अब वो नहीं..।
मेरी आंखों के भीतर अब भी एक दरिया बहता है..
मगर तेरे आंसुओं में, पहले सी नमी अब वो नहीं..।
तेरे हुस्न की मिसाल का भी, पसोपेश है अब तो..
महताब को क्या हुआ, उसमें रौशनी अब वो नहीं..।
इस दफ़ा चमन में बारिशों तो, बहुत गिरी थीं मगर..
किसकी साजिशों से, कलियां शबनमी अब वो नहीं..।
ज़माना उनकी बेवफ़ाई के, हज़ार फ़साने कहता रहा..
मगर उनकी ख़ातिर दिल में, ग़लतफ़हमीं अब वो नहीं..।
पवन कुमार "क्षितिज"

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




