जब कभी रहा तुम्हारा हाथ मेरे हाथ में।
पता ही न चला बंजारन हो गई साथ में।।
कहने भर की बात रहीं खुलासा न हुआ।
थक गई रिश्ता ढोते कहने को साथ में।।
हाथ बदला पर उसका एहसास न बदला।
जो दिमाग में 'उपदेश' रहा नही साथ में।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद