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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

ज़िन्दगी की ज़द्दोज़हद - फ़िज़ा

धूप सी जलती रही, छाँव की तलाश थी,
ज़िन्दगी हर मोड़ पर, इक नई प्यास थी।

काँटों की चुप्पी में भी, फूलों का गीत था,
दर्द की बाँसुरी में, आशा की मिठास थी।

तूफ़ानों से कह दिया, हिम्मत मेरी मीत है,
हर तपिश के बाद ही, बूँदों की मिठास थी।

छाँह को तरसते थे, जलते हुए सपने,
संकल्प की छाया में, शौर्य की प्रकाश थी।

हार को भी बाँह में भर, मुस्कुरा चली मैं,
नीर में भी भीगती, आग की उपास थी।

अंधकार के गर्भ से, उगता रहा सूरज,
संघर्ष की भूमि पर, विजय की विलास थी।

"फ़िज़ा" कहती है यही, थकना तुझे मना है,
राह हो कठिन भले, मंज़िल भी पास थी।

----फ़िज़ा




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

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देवांशी पटेल said

ज़िन्दगी की ज़द्दोज़हद को खूब अभिव्यक्त किया है

फ़िज़ा replied

आपका बहुत शुक्रिया देवांशी जी 🙏🙏

सुभाष कुमार यादव said

बहुत सुंदर रचना। भाव, अर्थ, शिल्प, प्रवाह का अत्युत्तम प्रयोग। 👌👌

फ़िज़ा replied

आपकी इस विशेष एवं यूनिक टिपण्णी के लिए बहुत शुक्रिया सुभाष जी 🙏🙏

पवन कुमार "क्षितिज" said

बेहतरीन रचना 👌

फ़िज़ा replied

बहुत शुक्रिया पवन जी 🙏🙏

वन्दना सूद said

तूफ़ानों से कह दिया, हिम्मत मेरी मीत है, हर तपिश के बाद ही, बूँदों की मिठास थी। 👌👌👏👏बहुत सुंदर

फ़िज़ा replied

बहुत शुक्रिया वंदना जी 🙏🙏

सुप्रिया साहू said

बहुत खूबसूरत रचना मैम 👌👌, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

फ़िज़ा replied

बहुत बहुत शुक्रिया सुप्रिया जी 🙏🙏

रीना कुमारी प्रजापत said

Waah bahut sundar prastuti 🙏😊 bahut bahut shukriya aapa Jaan apka for wishess my book,apne padhi kya meri book

फ़िज़ा replied

बहुत - बहुत शुक्रिया आपका

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