हम उनसे कह ना सके, मगर वो बात वफ़ा की थी..
जाने वो क्यूं भूल गए, वो मुलाकात वफ़ा की थी..।
उनका दिल बेवज़ह ख़िलाफ़ हमारे गवाही दे रहा..
मगर उनके साथ जो बीती, वो रात वफ़ा की थी..।
वो अपनी बही में, हर सांस का हिसाब लिखता है..
फिर हमसे किसने कहा, कि ये हयात वफ़ा की थी..।
बागबां के बगैर भी, चमन में खिले हैं गुल यहां..
बहारों ने कहा, इस दफा बरसात वफ़ा की थी..।
वो तो हमसे हर मोड पर, बेवफ़ाई किए जाते हैं..
हम क्या करते, हमको तो हिदायात वफ़ा की थी..।
पवन कुमार "क्षितिज"