मैं एक आज़ाद परिंदा हूॅं,
मुझे आज़ाद ही रहने दो ।
अपनी मर्ज़ी की मालिक हूॅं ,
अपनी मर्ज़ी मुझपर ना थोपो ।
मैं एक
ख़ुश मिज़ाज लड़की हूॅं ,
मुझसे मेरी
मुस्कुराहट ना छिनों ।
किसी और के तरीकों से
चलना मुझे पसंद नहीं,
अपने तरीके से
मुझे जीने दो ।
दुनिया में सभी का अंदाज़ एक है,
पर अपना अलग
अंदाज़ रखती हूॅं मैं ।
मेरा गहना मेरी इज़्ज़त
और मुस्कुराहट है ,
ज़ंजीरों से गहने
नहीं पहनती हूॅं मैं ।
सीधी साधारण लड़की हूॅं,
दिखावे के नखरे
मुझे पसंद नहीं ।
साधारण,
जैसी दिखती हूॅं
वैसी ही अच्छी हूॅं ,
नकली चेहरे बनाना
मुझे पसंद नहीं ।
लोगों की बड़ी
उलझी सी सोच है,
अपनी सोच
स्पष्ट रखती हूॅं मैं ।
लोगों के बंदिशों भरे
विचार पसंद नहीं ,
अपने विचार स्वतंत्र
रखती हूॅं मैं ।
कुछ लोग बड़े कायल है मेरे ,
क्योंकि बड़े ही बिंदास
विचार रखती हूॅं मैं ।
दिखावा मुझे पसंद नहीं
जैसी हूॅं बहुत अच्छी हूॅं मैं ,
दुनिया की भीड़ से अलग हूॅं मैं ।
अपने मुंह से
अपनी तारीफ़ पसंद नहीं मुझे ,
मेरे विचारों से
कुछ लोग दीवाने है मेरे ।
कुछ लोगों को मेरे
स्वतंत्र विचार पसंद नहीं ,
तो मुझे भी बंदिशों से भरे
विचारों वाले लोग पसंद नहीं ।
----रीना कुमारी प्रजापत