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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

दिखते नहीं तुम जहाँ रहते थे

दिलकशी दिलनशी दिलरुबा कहते थे
चाँद सी चंचल, दुआ, मरहबा कहते थे
प्रेयषी प्रेमिका प्रियतमा थी कभी
दिखते नहीं तुम जहाँ रहते थे

----डॉ कृतिका सिंह




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

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अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

"दिलकशी दिलनशी दिलरुबा" इतने शब्द काफी थे Mam फिर आपने "प्रेयषी प्रेमिका प्रियतमा" का उपयोग किया, छोटी रचना होने के बाद भी कितना वजन है इसमें, प्रातः ही ऐसे सुन्दर अनमोल वचन पढ़कर ऊर्जा की प्राप्ति होती है एवं शब्द ज्ञान एवं रचनाओं में उनकी उपयोगिता किस तरह की जासकती है वह भी - बहुत खूबसूरत बन पड़ी है आपकी रचना

डॉ कृतिका सिंह replied

आपका बहुत बहुत आभार भाई जी

रीना कुमारी प्रजापत said

Aha! Bahut khubsurat

डॉ कृतिका सिंह replied

धन्यवाद आपका रीना जी मुझे नहीं पता था की मेरी रचना आपकी नज़रों को अपनी तरफ आकर्षित कर पाएगी सच कहूं तो आपकी प्रतिक्रिया पाकर खुश हूँ

डॉ कृतिका सिंह replied

अच्छे लेखक एवं कवि उपलब्ध हैं यहाँ शुरुआत में थोड़ी झिझक थी क्युकी इतना सुना नहीं था लेकिन आप लोगो की रचनाओं ने और अमरउजाला पर मिली एक लिंक ने यहाँ लिखने के लिए मजबूर कर दिया - आप सबका तहे दिल से आभार

वन्दना सूद said

Nice😊

डॉ कृतिका सिंह replied

वंदना जी आपकी प्रतिक्रिया मिली आपका बहुत बहुत आभार मेरी रचना आप तक पहुंची अच्छा महसूस कर रही हूँ

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