लाखों स्वप्नों के टूटने,
हजारों भावों के लूटने,
पर भी यह हृदय धड़क रहा है..
रचयिता की है यह विशेष कृति,
अनमोल, अतुल्य, अद्भुत सृष्टि,
आशा के अटूट धैर्य को..
कोटि कोटि नमन..
क्योंकि सूर्य डूबता नहीं,
प्रकाशमान रहता है कहीं,
परन्तु निरंतर होता नहीं दृष्टिगोचर।
उसके पुनः उदय की प्रतिक्षा..
में होता पूर्ण विश्वास,
सिमटता नहीं आकाश,
कुछ क्षणों का अवकाश,
मिलता फिर प्रकाश।