एक प्रतिभा जब आगे बढ़ती जाती है
तो राह में उसे मिलते हैं—
सुन्दर शहर, भौतिक संसाधन
और आकर्षक लड़कियां
पर वह चुनता है बस
सिगरेट का पैकेट।
परिणाम—
अब उसकी प्रतिभा
भयानक गति से दौड़ने लगती है
और हर खड़ी हुई प्रतिभा को
अपने भीतर समाहित करती जाती है।
दुनिया उसे आज
परमाणु बम का जनक कहती है
और अन्त में
वह मानवता को शान्ति और
विश्व को एकता का सन्देश देकर
कैंसर से मर जाता है।
पर उसका सच्चा साथी तो
बस सिगरेट ही था
जो हर कठिन घड़ी में
उसके होठों से लगा रहा।
- प्रतीक झा 'ओप्पी'
चन्दौली, उत्तर प्रदेश