दौड़ लगती तभी सफ़लता,जब उठता है स्वयं जुनून.
मानव आगे बढ़ता रहता,आता है उमंग नित दून.
जोश भरा है जिस जेहन में,वहीं सफल होता इंसान.
श्रम करना ही सीखा उसने,इक दिन बनता वही महान.
लक्ष्य देखता चलता प्रति क्षण,सदा हाथ में तीर - कमान.
भर लेता मुट्ठी में जग को,वीर धीर बौद्धिक बलवान.
जिसे भुजा पर सदा भरोसा,वह सबको लेता है जीत.
मस्त हमेशा बना घूमता,गाता रहता मंगल गीत.
कदम चूमती सदा सफ़लता,जिसका कर्मनिष्ठ आचार .
जिसे कर्म अति प्यारा लगता,उस मानव का सफ़ल विचार.
कामधेनु सी सदा सफ़लता,जिस पर सदा सत्य की छांव.
जिसकी वाणी में अमृत है,वही रचे उत्तम सा गांव.
वही सफ़लता का मालिक है, जिसकी कथनी - करनी एक.
वही चूमता सहज व्योम को,जहां इरादा पक्का नेक.
डॉ0 रामबली मिश्र
वाराणसी