दर जब बे-सुमार होता हे
सीने के आर-पार होता हे
हर इंशा की यही कहानी हे
चहेरा बे-नकाब होता हे
अपना जीसे समजा था
वही हमसे दूर होता हे
गुमसुम हो गये किताबघर
पढ़ना अब महेंगा होता हे
गजल लिखना तो सिर्फ शौक हे
दिल का दर्द बयान होता हे
के बी सोपारीवाला