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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

पलाश के फूल

मिज़ाज फ़िज़ा का केसरिया हो गया,
पलाश के दरख़्तों पर जो फूलों का बसेरा हो गया।

फाल्गुन और चैत्र आँखों को बड़ा सुकून देता है,
इन महीनों में नज़ारा जो केसरिया होता है।

बालकनी में बैठ बस इन्हीं को तकती रहती हूँ,
और सोचती हूॅं कि काश ! ये पलाश
बारहों महीने फूलों से लदा रहता।

खुद को बड़ा ही खुशनसीब समझती हूॅं,
पलाश के बाग़ान के करीब जो अपना घर रखती हूॅं।

हर किसी के नसीब में कहाॅं होता है
यूं पलाश की गोद में बैठ मोहब्बत का तराना लिखना,
इतना मनमोहक नज़ारा कि
खुद खुदा भी चाहता होगा इनके पास बैठना।

💐 रीना कुमारी प्रजापत 💐




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

श्रेयसी said

जी हां सही लिखा आपने मैंने देखा है। बहुत सुंदर रचना 🙌🙌

रीना कुमारी प्रजापत replied

Ji didu raani kitne khubsurat hote hain ye.... Man moh lete hai main apko photo bhejungi... Shukriya

Lekhram Yadav said

प्रकृति पर बहुत खूबसूरत रचना, आपको सादर नमस्कार

रीना कुमारी प्रजापत replied

🙏🙏😊

Updesh Kumar Shakyawar said

बेहतरीन लाईनों के साथ...पलाश के बाग़ान के करीब जो अपना घर रखती हूॅं। आपको सादर प्रणाम

रीना कुमारी प्रजापत replied

Dhanyawad sir ji 🙏 pranaam

पवन कुमार "क्षितिज" said

जो बयान अपने किया हैं वो नज़ारा हमारी आंखों में तैर रहा है..उम्दा 👌👌

रीना कुमारी प्रजापत replied

Ji bahut bahut shukriya apka

Supriya sahu said

बहुत खूबसूरत रचना मैम 👌😊, आपको सादर प्रणाम 🙏।

रीना कुमारी प्रजापत replied

Thanks ji

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