Newसभी पाठकों एवं रचनाकारों से विनम्र निवेदन है कि बागी बानी यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करते हुए
उनके बेबाक एवं शानदार गानों को अवश्य सुनें - आपको पसंद आएं तो लाइक,शेयर एवं कमेंट करें Channel Link यहाँ है

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.



The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

Newसभी पाठकों एवं रचनाकारों से विनम्र निवेदन है कि बागी बानी यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करते हुए
उनके बेबाक एवं शानदार गानों को अवश्य सुनें - आपको पसंद आएं तो लाइक,शेयर एवं कमेंट करें Channel Link यहाँ है

The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

एक औरत के अन्तर्मन की व्यथा पर एक गजल - औरत होने का दर्द

कापीराइट गजल

औरत होने का दर्द

जब हाल-ए-दिल अपना, सुनाया हमने
एक नए दर्द से वाकिफ, कराया तुमने

जब-जब, खुशी ने, मुझे आबाद किया
हरेक खुशी के संग, मुझे रुलाया तुमने

मैं, बेटी हूं, बहन हूं, मां हूं मैं किसी की
क्यूं आंसू से मेरा दामन, सजाया तुमने

नाम और उम्र बदले, ये वक्त भी बदला
नए जुर्म से मुझको फिर सताया तुमने

न्याय के लिए सदा, तरसती रही हूं मैं
रो-रो कर गुजारी है, यह जिन्दगी हमने

मर-मर कर जीती हैं, ये बेटियां आज भी
निजाम ऐसा मेरे लिए क्यूं बनाया तुमने

महरूम हूं अपनी, पहचान से ही अब
समानता का ये लेबल क्यूं लगाया तुमने

बन, गए हैं दुश्मन, अब यह अपने मेरे
चन्द पैसों के लिए, जब जलाया तुमने

कमी नहीं है यहां पर, सताने वालों की
करके साजिश नई जब, फंसाया तुमने

मैं, अब कहीं पर भी, महफूज नहीं हूं
जब अपनों को जुर्म करते, पाया हमने

नोंच रहा है जिस्म यह, हर कोई मेरा
जब, बाजार में मुझ को, बिठाया तुमने

तार-तार हुई है, जब यह अस्मत मेरी
मेरे जिस्म को जख्मों से, सजाया तुमने

कैंडल मार्च निकालते हो, मेरे मरने पर
यूं परदा डाल गुनाहों को, छुपाया तुमने

मैं एक औरत हूं, यही है अपराध मेरा
शिकार हर बार हवस का, बनाया तुमने

जब जी नहीं भरा, जिस्म से खेल कर
फूलों के संग मुझ को, सुलाया तुमने

शरम करो खुद पर, अय, दुनियां वालो
यह हाल मेरा ऐसा, क्यूं बनाया तुमने

मैं जिन्दा रहूंगी कैसे, समाज में यादव
हर इल्ज़ाम मेरे सर पर, लगाया तुमने

- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


समीक्षा छोड़ने के लिए कृपया पहले रजिस्टर या लॉगिन करें

रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

श्रेयसी said

Kya baat hai gajab 👌👌 dard ko mahsus karne ke liye bahut- bahut dhanyawad 🙏🙏 kaash aapki tarah soch waali duniyaa hoti . Maine bhi aisa hin kuch likha hai . Bahut pahle ka likha hua hai agar milega to post karungi.🙏🙏

Lekhram Yadav replied

आदरणीय श्रेयसी जी आपकी रचना का मुझे इन्तज़ार रहेगा, इतनी सार्थक प्रतिक्रिया के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद

वन्दना सूद said

बहुत ही भावपूर्ण रचना और बहुत ही सही आईना दिखाया आपने अपने शब्दों के ज़रिए🙏🙏🙌🏻🙌🏻

Lekhram Yadav replied

धन्यवाद सहित नमस्कार वन्दना जी, वास्तव में एक औरत की व्यथा औरत ही समझ सकती है मगर कुछ मेरे जैसे लोग भी हैं जो इसको समझने की कोशिश करते रहते हैं। आज की रचना इसी क्रम का एक भाग है। आपको प्रतिक्रिया देने के लिए सादर नमस्कार।

अर्पिता पांडेय said

बहुत सुंदर ग़ज़ल है क्या कहने एक औरत के दर्द को बखूबी बयां किया है आपने

Lekhram Yadav replied

धन्यवाद सहित नमस्कार अर्पिता जी, आपको गजल पसन्द आई उसके लिए आपको सादर नमस्कार।

रीना कुमारी प्रजापत said

Bahut sundar iske liye mere paas alfaaz nhi hai👌🙏

Lekhram Yadav replied

सुप्रभात सहित हार्दिक धन्यवाद मेरी प्यारी बहना। पुस्तक की पीडीएफ मिली या नही, बताना मुझे।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Aapne ek aurat ki vyatha ko bahut achhe se shabdon se alankrit kiya hai sir,, aapko saadar dandvat pranam 🙏🙏

Lekhram Yadav replied

सर सुप्रभात सहित नमस्कार। आपको रचना पसन्द आई ये मेरा सौभाग्य है, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद सर।

कविताएं - शायरी - ग़ज़ल श्रेणी में अन्य रचनाऐं




लिखन्तु डॉट कॉम देगा आपको और आपकी रचनाओं को एक नया मुकाम - आप कविता, ग़ज़ल, शायरी, श्लोक, संस्कृत गीत, वास्तविक कहानियां, काल्पनिक कहानियां, कॉमिक्स, हाइकू कविता इत्यादि को हिंदी, संस्कृत, बांग्ला, उर्दू, इंग्लिश, सिंधी या अन्य किसी भाषा में भी likhantuofficial@gmail.com पर भेज सकते हैं।


लिखते रहिये, पढ़ते रहिये - लिखन्तु डॉट कॉम


© 2017 - 2025 लिखन्तु डॉट कॉम
Designed, Developed, Maintained & Powered By HTTPS://LETSWRITE.IN
Verified by:
Verified by Scam Adviser
   
Support Our Investors ABOUT US Feedback & Business रचना भेजें रजिस्टर लॉगिन