हुआ लापता रोशनी का सितारा।
तड़पते दिल ने कई बार पुकारा।।
घुमडता हुआ सामने एक बादल।
इधर मेरी आँखों में छाया अँधेरा।।
नहाकर छिटकती हुई रोशनी में।
आज रात चंदा को मैंने निहारा।।
जरा सी खुशी पर जरा सा गम।
चाहिए 'उपदेश' उसका सहारा।।
मुझे चाहिए रात दिन चाँद मेरा।
मगर छीन लेता है उसको सवेरा।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद