कृष्ण अवतार
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श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा में देवकी और वासुदेव के घर हुआ था। उनके मामा कंस ने उनके पिता वासुदेव को जेल में डाल दिया था और देवकी को भी जेल में रखा था।
जब श्रीकृष्ण का जन्म हुआ, तो वासुदेव ने उन्हें एक टोकरी में रखकर यमुना नदी पार की और गोकुल में नंद और यशोदा के घर छोड़ दिया। श्रीकृष्ण
श्रीकृष्ण का पालन-पोषण गोकुल में हुआ और वे वहाँ बड़े हुए। उन्होंने अपने बचपन में ही कई चमत्कार किए और अपनी लीलाओं से लोगों को आकर्षित किया
जब श्रीकृष्ण बड़े हुए, तो उन्होंने अपने मामा कंस को मारने के लिए मथुरा जाने का फैसला किया। उन्होंने कंस को मारा और अपने माता-पिता को जेल से छुड़ाया। इसके बाद, श्रीकृष्ण ने द्वारिका में अपना राज्य स्थापित किया और वहाँ के राजा बने। उन्होंने अपने जीवनकाल में कई महान कार्य किए और भगवद गीता के माध्यम से लोगों को जीवन के सही मार्ग की शिक्षा दी
भगवान बुद्ध अवतार
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भगवान बुद्ध का जन्म लगभग 563 ईसा पूर्व लुम्बिनी में हुआ था। उनके पिता शुद्धोधन एक राजा थे और उनकी माता माया देवी एक रानी थीं।
बुद्ध का बचपन बहुत ही विलासितापूर्ण था, लेकिन जब उन्होंने दुनिया की वास्तविकता देखी, तो उन्हें बहुत दुख हुआ। उन्होंने देखा कि लोग बीमार हैं, बूढ़े हैं, और मरते हैं। इससे उन्हें यह एहसास हुआ कि जीवन में दुख और पीड़ा अनिवार्य है।
इस एहसास से बुद्ध ने अपने जीवन को बदलने का फैसला किया। उन्होंने अपने राज्य और परिवार को छोड़ दिया और जंगल में जाकर तपस्या करने लगे। उन्होंने कई वर्षों तक तपस्या की और अनेक गुरुओं से शिक्षा प्राप्त की।
एक दिन, जब बुद्ध बोधगया में एक पीपल के पेड़ के नीचे बैठे थे, तो उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई। इस ज्ञान ने उन्हें यह समझाया कि जीवन में दुख और पीड़ा क्यों होती है और कैसे इनसे मुक्ति पाई जा सकती है।
इसके बाद, बुद्ध ने अपने ज्ञान को लोगों के साथ बांटने का फैसला किया। उन्होंने अपने शिष्यों को इकट्ठा किया और उन्हें अपने ज्ञान की शिक्षा दी। उन्होंने लोगों को यह सिखाया कि जीवन में दुख और पीड़ा से मुक्ति पाने के लिए, हमें अपने मन और विचारों को नियंत्रित करना होगा।
बुद्ध की शिक्षाएं बहुत ही सरल और स्पष्ट थीं। उन्होंने लोगों को यह सिखाया कि हमें अपने जीवन में मध्यम मार्ग अपनाना चाहिए, जिसमें न तो अधिक विलासिता हो और न ही अधिक तपस्या। उन्होंने यह भी सिखाया कि हमें अपने जीवन में करुणा, मैत्री, और समझदारी को अपनाना चाहिए
कल्कि अवतार
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कल्कि अवतार भगवान का प्रमुख दसवां व अंतिम अवतार माना जाता है
कल्कि अवतार भगवान विष्णु का अंतिम अवतार माना जाता है, जो कलियुग के अंत में प्रकट होंगे कल्कि अवतार के प्रकट होने से कलियुग का अंत होगा और सतयुग की शुरुआत होगी इस अवतार के प्रकट होने से विश्व में शांति और सुख की स्थापना होगी कल्कि अवतार अधर्म का नाश करेंगे और धर्म की स्थापना करेंगे।
वह वेदों का पुनरुद्धार करेंगे और लोगों को वेदों के ज्ञान के बारे में सिखाएंगे।
6. सृष्टि का नवीनीकरण: कल्कि अवतार सृष्टि का नवीनीकरण करेंगे और नई सृष्टि की स्थापना करेंगे।
कल्कि अवतार के स्वरूप के बारे में विभिन्न धर्मग्रंथों में अलग-अलग वर्णन हैं।
कल्कि अवतार भगवान विष्णु के रूप में प्रकट होंगे, जिनका रंग श्वेत या नीला होगा।
उनके चार हाथ होंगे, जिनमें से दो हाथों में शंख और चक्र होंगे, जबकि दो हाथों में तलवार और धनुष होंगे।
उनके सिर पर एक मुकुट होगा, जो उनकी महिमा और शक्ति का प्रतीक होगा।
उनकी आँखें गहरी और प्रज्वलित होंगी, जो उनकी ज्ञान और शक्ति का प्रतीक होंगी।
उनका वाहन एक सफेद घोड़ा होगा, जो उनकी गति और शक्ति का प्रतीक होगा।
- उनके साथ दो सेवक होंगे, जिनका नाम सत्य और धर्म होगा।
✍️#अर्पिता पांडेय