'तुम साथ दो मैं गीत गाऊँगा'
तुम साथ दो मैं गीत गाऊँगा,
भावों की सेज पर सुर सजाऊँगा।
विरह- मिलन की बेला में,
आस लिए अधरों से,
प्रेम का गीत,
सदा ही गुनगुनाऊँगा।
तुम साथ दो मैं गीत गाऊँगा,
भावों की सेज पर सुर सजाऊँगा।
खण्डित स्वरों सा हुआ अवरोध,
प्रेम का मेरे नित हुआ विरोध,
पा कर तुम्हें सदा के लिए,
सारे कष्टों को भूल जाऊँगा।
तुम साथ दो मैं गीत गाऊँगा,
भावों की सेज पर सुर सजाऊँगा।
विस्मृत स्मृतियों के स्मरण से,
असह्य पीड़ा हुई अंतस में,
सजल नेत्रों से सदा,
अश्रु बहाऊँगा,
तुम साथ दो मैं गीत गाऊँगा,
भावों की सेज पर सुर सजाऊँगा।
निपट अकेला हूँ प्रिये!
तुम्हारी यादों से बिछड़ कर,
आ जाओ निकट,
मैं फिर से मुस्कुराऊँगा,
तुम साथ दो मैं गीत गाऊँगा,
भावों की सेज पर सुर सजाऊँगा।
🖋️सुभाष कुमार यादव