असीम शक्ति है नारी में <br>एक नारी में ही होता है ऐसा हुनर,जो रंगों में भी रंग भर दे<br>भावनाओं को,तस्वीर में ऐसे उतार दे कि तस्वीर भी बोल पड़े<br>रोते हुए को हँसा दे चाहे तो हँसते हुए को रुला दे<br>कभी अबला बन थम जाए,कभी शक्ति बन संहार करे<br>शक्ति से जगदंबा और भक्ति से मीरा कहलाए<br>स्वर्ग,नरक,शक्ति,मुक्ति सबकी राह दिखाए<br><br>हे नारी आत्मनिर्भर बन,तुझे कोई नहीं रोकेगा<br>स्वतंत्र है तू ,तुझे कोई नहीं बाँधेगा<br>उड़ान भर अपने सपनों की,तेरे पंख कोई नहीं काटेगा<br>पर याद रख,तेरी स्वतंत्रता तेरे वजूद को न मिटा दे<br>अपनी संस्कृति को सँभालने की काबिलियत केवल तुझमें है<br>समय से कदम मिला पर अपने धर्म की जड़ें न काट<br>क्योंकि अपने हर रिश्ते को एक धागे में ख़ूबसूरती से पिरोने की ताकत सिर्फ़ तुझमें ही है..<br>-वन्दना सूद</b>