मेरा मुझमें तनिक ना गुजारा हुआ
जितना मैं था मेरा वो तुम्हारा हुआ
जीत तुमको मुक़म्मल मुबारक रहे
मैं सिकंदर हूँ खुद से ही हारा हुआ
दूरियां बढ़ चलीं तो बस बढ़तीं गईं
आसमां में मैं अटका सितारा हुआ
तोहमतें मेरे हिस्से में मुसलसल रहीं,
के पेश करता हूँ खुद को सुधारा हुआ
मन के साखों पर पत्ते ख्वाबों के क्या लगे,
किस्मतों का जड़ों से किनारा हुआ
कोई जाने, सुने और समझे क्यूँ भला,
नाम हूँ .. मूक अधर से पुकारा हुआ
हार हिस्से मेरी हार सी आ गयी
फूल जिसमे लगे थे बहारा हुआ
-सिद्धार्थ गोरखपुरी

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




