पिता है मेरे उन्हें,
रोते देखा, हंसते देखा,
हर मुस्किल में मुस्कुराते देखा।
ना डाटते देखा, ना पीटते देखा,
हम उन्हे बस समझाते देखा।
कड़ी धूप में जलते देखा,
जली रोटी,खाते देखा।
पिता है वो बस हर ,
मुस्किल में मुस्कुराते देखा।
हर गम को भूलते देखा,
खुशियों में भी परेशान देखा,
ना बांट सके खुशियां,
ना समय बिताते देखा,
हर वक्त उन्हें बस कमाते देखा।
पिता है वो बस हर,
मुस्किल में मुस्कुरातें देखा।
हाथ फैलाते देखा,
हाथ खसीटते देखा,
उनकी जख्मी पांव देखा।
पिता है वो बस हर,
मुस्किल में मुस्कुरातें देखा।
काम के लिए गलियों में भटकते देखा,
ना सकून से सोते देखा,
ना आराम से खाते देखा,
बस अपनी जिम्मेदारियों को निभाते देखा।
पिता है वो बस हर,
मुस्किल में मुस्कुरातें देखा।
धूप में पसीना बहाते देखा,
सर्दी में ठिठुरते देखा,
बारिश में भींगते देखा,
पुरानी-फटी कपड़ो में साल गुजारते देखा।
पिता है वो बस हर,
मुस्किल में मुस्कुरातें देखा।
बेटों को पैर पे खड़ा करना,
बेटियो को खुशियां देना,
पत्नी को प्यार देना,
मां-बाप की सेवा करना,
बस यही सपना है उनका।
यही फर्ज है पिता का,
यही महानता है पिता में।
~S.KABIRA

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




