स्त्री प्यार की मूरत स्त्री का करो सम्मान।
स्त्री का प्रेम पाकर ही मर्द बनता इंसान।
स्त्री का प्रेम पाने को करता अच्छे काम।
स्त्री लगे सुंदर उसको कहता उसे जान।
इत्र लगाकर इठलाता बुद्धू बना इंसान।
चश्मा लगाकर सबको बोले मेरी जान।
स्त्री का प्रेम पाने को आतुर हर इंसान।
स्त्री माता स्त्री भाभी स्त्री का करो मान।
स्त्री प्रेम को नहीं जाने नालायक इंसान।
बहिनों को देख रहा बुरी नजर से इंसान।
स्त्रियों के चक्कर मे घनचक्कर इंसान।
मांबापू की सेवा छोड़ी छोड़े अच्छे काम।
स्त्री के आगे पीछे घूम रहा प्रेमी इंसान।
देशभक्ति ईश्वर भक्ति छोडे अपने काम।
स्त्री चंचल मन पागल समझे तो इंसान।
स्त्री प्रेम में पागल हो रहा आज इंसान।
सत्यवीर वैष्णव बारां राजस्थान