वो भी क्या ज़माना था?
कि पूरा जहां हमारा दीवाना था।
हम पागल थे उसके इश्क़ में,
और वो इस ख़बर से अनजाना था।
वो मेरी ज़िंदगी का सबसे बड़ा अरमान था,
पर उसे पाने में बहुत बड़ा व्यवधान था।
मानो वो रूह था मेरी,
पर वो बड़ा ही नादान था।
जिससे हमे मोहब्बत थी वो कोई बेगाना था,
वो चाहत का एक हसीं फ़साना था।
हम कुछ भी नहीं थे उसके आगे,
और वो मानो मोहब्बत का पूरा मैख़ाना था।
वो मेरा हम - साया था,
जो दिन-रात ख़्वाबों में मेरे आया था।
वजह था मेरे जीने की ,
वो सबसे जिगरी मेरा तराना था।
~रीना कुमारी प्रजापत ✍️✍️