क्यों रहूँ मैं बनकर
किस्मत के हाथों कठपुतली
कुछ ऐसा क्यों न कर जाऊं
किस्मत बन जाये
मेरे हाथों की कठपुतली
क्यों मैं बैठूं
भाग्य भरोसे
क्यों दर-दर की
ठोकर मैं खाऊ
कुछ ऐसा क्यों न कर जाऊं
कोई और भी
दर-दर न भटके
क्या कोई बतलायेगा
हाथ देखकर मेरी किस्मत
क्या उनकी किस्मत नहीं होती
जिनके हाथ नहीं होते हैं
मैं उनको कैसे समझाऊँ
जो किस्मत के भरोसे ही सोते हैं
कुछ ऐसा क्यों न कर जाऊं
किस्मत खुद तरसे सोने को
कुछ ऐसा क्यों न कर जाऊं
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The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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