कुछ खोकर ही तो इंसान कुछ पा जाता है,
हर दर्द से ही तो उसका दिल
मुस्कुराना सीख जाता है।
जो लम्हें छूट जाते हैं पीछे जिंदगी में,
वही आगे चलकर हमें समझदार बना जाते हैं।
शिकायतें बहुत हैं इस कायनात से सबको,
मगर सच्ची पहचान तकदीर बदलने के बाद ही आती है।
कुछ खोकर ही तो इंसान को
खुद अपनी पहचान दिखाई देती है।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




