एक भ्रष्टाचारी बोला, हमने नहीं किया उलट फेर।
हमने कुछ नहीं खाया,
पुराना खा गया,शेर- सवा सेर।
एक टांग का कल्लू, तभी से फरार है।
यही सबसे बड़ी रार है।
भ्रष्टाचार के हलवे संग,
खा गया रिश्वत की पूरियां।
फाइलें आज, भी बंद है बक्सों में।
वो भर ले गया, नोटों की बोरियां।
अंकीलाल अंक ने, हिसाब लगाया।
कल्लू लाल कबाडिया झोलियां लेकर आया।
कल्लू लाल कबाडिया ने, तहलका मचा दिया साहब।
फॉर्म जो फ्री थे, सौ सौ में बिक वा दिया।