अचानक उसका यूं मुझे छोड़ चले जाना
उसका मुझ पर सबसे बड़ा सितम लग रहा है,
वो दिन कम और रात ज़्यादा लग रहा है।
यूं ग़लतफहमी में उसका मुझसे नाता तोड देना
एक डरावना मंज़र लग रहा है,
वो आज निगाहबां कम और हैवान ज़्यादा लग रहा है।
अब फिर से अचानक उसका यूं
मेरी ज़िंदगी में आना वहम लग रहा है,
वो सच कम और ख़्वाब ज़्यादा लग रहा है।
यूं आज मेरे इस हाल में
उसका मेरी ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाना
मुझ पर करम लग रहा है,
जाने क्यों ? वो आज मुझे इंसान कम और
भगवान ज़्यादा लग रहा है।
🌼 रीना कुमारी प्रजापत 🌼