कापीराइट मुक्तक
अक्सर नींद नहीं आती रातों की तन्हाई में
कतरा-कतरा डूब रहा हूं यादों की गहराई में
काबू नहीं मेरा दिल पर कैसे मैं तुम्हें बताऊं
जियेंगे हम कब तक ऐसे यारा तेरी जुदाई में
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
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