लहरों से आती आवाजें शांत न होगी।
बेचैन जब से हुई आपे में बात न होगी।।
चट्टानें अपनी जगह खामोश दिख रहीं।
टकराने की जिद्द कायम बात न होगी।।
रेत में बैठ कर फिर कुछ दूर चल कर।
अनसुना कर देने से उनकी बात न होगी।।
गूँजती आवाजों में किनारे भी व्यथित।
एक किनारे से दूसरे की बात न होगी।।
दिल का द्वार खटकाये कैसे 'उपदेश'।
टूटे दिल के अरमानो की बात न होगी।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद