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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

स्वार्थ डॉ एच सी विपिन कुमार जैन "विख्यात"

स्वार्थ
डॉ एच सी विपिन कुमार जैन "विख्यात"

स्वार्थ का विष है एक ऐसा जहर,
जो दिल को खराब करता है।
यह एक ऐसा बीज है जो बोया जाता है,
और इसका फल होता है दर्द और दुख।

स्वार्थ की आग है जो जलती रहती है,
और इसके आगे सब कुछ जल जाता है।
यह एक ऐसा रोग है जो फैलता है,
और इसका इलाज नहीं होता है।

स्वार्थ के विष से हम सबको बचाना है,
और इसके प्रभाव से हमें दूर रहना है।
हमें अपने दिल को साफ रखना है,
और स्वार्थ की आग को बुझाना है।

स्वार्थ का विष है एक ऐसा जहर,
जो दिल को खराब करता है।
हमें इसके प्रभाव से बचाना है,
और अपने दिल को साफ रखना है।

स्वार्थ की जगह पर प्रेम और करुणा को रखो,
और अपने दिल को साफ रखो।
स्वार्थ के विष से हम सबको बचाना है,
और इसके प्रभाव से हमें दूर रहना है।




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

+

Updesh Kumar Shakyawar said

बहुत खूब

Shiv Charan Dass said

निस्वार्थ भावना ही मानवीय भावना है सुंदर

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