देखना तुम्हारी दास्तान में मेरा जिक्र मिलेगा।
तहरीर तेरे चेहरे की मेरे दिल से हक मिलेगा।।
तेरे हाथो में था कभी अपने मुकद्दर का वरक़।
उजालों की रवानी में सुलगता शक मिलेगा।।
मैं रहा दूध और तुम पानी की तरह मिले उसमे।
वक्त ने उबाला 'उपदेश' अब कहाँ हक मिलेगा।।
जहाँ भी मौजूद जिस्म चमकती माहताब जैसी।
मेरी जुबान पर अक्सर तुम्हारा जिक्र मिलेगा।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद