इस बार होली मैंने कुछ इस तरह से मनाई
तुम्हारी यादों के लम्हों में बहुत देर तक नहाई
सिर्फ़ तुम्हें पता था मुझे रंग नहीं फूलों की होली पसंद है
फिर कैसे इन हवाओं ने मुझपर पंखुड़ियांँ बरसाई
क्या बताऊँ फूलों से सराबोर होते हीं हर-सू
लगा सिर्फ़ तुम्हारी ख़ुशबू हीं ख़ुशबू छाई