कविता : जात....
काश हम प्यार करते और
एक दूसरे से मिलते
हम न प्यार कर सके न मिल
सके ये समाज के चलते
मैं किसी जात का और
तुम किसी जात की हो गई
इसी लिए हमारा मिलन न
हुआ दुख इसी बात की हो गई
इसी लिए हमारा मिलन न
हुआ दुख इसी बात की हो गई.......