अमर ज्योति
शिवानी जैन एडवोकेट (Byss)
ज्वाला बनकर जगे थे, वो वीर सपूत,
आज़ादी की खातिर, किया जीवन न्यौछावर।
माँ भारती के चरणों में, अर्पित किया लहू,
अमर ज्योति बनकर, जगमगाते रहे वो।
भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव की गाथा,
हर दिल में गूँजती, उनकी अमर व्यथा।
वतन के लिए हँसते-हँसते फाँसी चढ़े,
शहीद होकर भी, वो अमर हो गए खड़े।
आज भी उनकी यादें, दिल में बसी हैं,
देशभक्ति की लौ, हममें जगाती हैं।
शत्-शत् नमन उन वीरों को, बारंबार,
जिनके बलिदान से, आज़ाद हुआ ये संसार।