जिन पलो में जीने का ख्वाब सजाया।
उन पलो को खुद तकदीर से मिटाया।।
कुछ एक को अपना समझे अनजाने में।
धोखा खाया उन्हीं से तब भ्रम मिटाया।।
ऐसा नही कि मन करीबी नही चाहता।
करीब आने वालों ने ही ये दिन दिखाया।।
बार बार उनके अहसान सताते तन्हाई में।
तन्हाई का आलम भी उन्हीं ने दिखाया।।
प्यार जिंदा है और एहसास भी कायम।
प्यार में 'उपदेश' पल संवारना नही आया।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद