नये ज़माने का इश्क पल भर होता मीठा।
कुछ तो खामी रही होगी इश्क होता मीठा।।
कल तक चहकने वाले मौन है मोहब्बत में।
उतर गया बुखार जिसका स्वाद रहा अनूठा।।
उसकी प्यास बुझती नही दिनो दिन बढ़ती।
आज 'उपदेश' खानपान की चलन में मीठा।।
प्यार में तकरार होने के लिए वंदना करता।
शायद उससे तरक्की हो प्यार हो जाए मीठा।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद