छुट्टी आई छुट्टी आई
फिर हमारी खुशियाँ लौटकर आई
चिट्ठी आई चिट्ठी आई
दादा - दादी से मीठी हलचल आई ॥
बालू से बने झोपड़ी याद आई
फिर साथ खेलने मन आई
झीलों की सुनहरे धुन याद आते ही
मन शांत की धागा से जुड़ गई ॥
गांव आते-आते वर्ष की बूंदे
की आहट से मन उल्लास से भर गई
छोटी मोटी पुरानी स्मृति याद आई
अनजाने मन प्रफुल्लित से भर गई ॥
मंद वायु के साथ-साथ खाने मन आई
रंग बिरंगे तितली पकड़ने के मन तड़प रही
साथियों से बात करने खुले मन आई
श्याम झूला झूलें तारे छूने की मन आई ॥