New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.



The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|

The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

अहम् की हर सीमा पार कर ली

अहम् की हर सीमा पार कर ली
चाहे सुबह के गुलाबी बादल जिन्हें सूरज की किरणों ने सजाया हो
चाहे पेड़-पौधे ,रंग-बिरंगे फूलों ने प्रकृति को सजाया हो
पहाड़ों की बारिश में बढ़ती ख़ूबसूरती हो
समुन्दर,नदियाँ या झरनों की मन को लुभाती जलधारा हो
तारों की बारात ने रात्रि को जगमगाया हो
चन्दा ने आसमाँ से निहारा हो
जिसने दुनिया बनाई,उसकी रहमत का क्या कहना
सम्पूर्ण प्रकृति सौंप दी हमें जीने के लिए
हर सौंदर्य का जी भरकर लुफ़त उठाते हैं हम
और हमारा अहम् तो देखो
हमने उनकी मूरत क्या बना ली
ख़ुद को ही ख़ुदा मान बैठे
उनको परदे में ढक दिया
मिलने का समय नियुक्त कर दिया
कभी भोग,कभी विश्राम और कभी शृंगार में बाँध दिया उन्हें
जो प्रभु कण-कण में हैं ,हर पल,हर क्षण हर जगह पर हैं
स्वार्थी प्राणी ने अनमोल प्रभु का भी मोल लगा दिया..
वन्दना सूद




समीक्षा छोड़ने के लिए कृपया पहले रजिस्टर या लॉगिन करें

रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Uttam rachna bahut Satya vachan pranam sweekar karein🙏🙏

वन्दना सूद replied

प्रणाम 🙏🙏

कमलकांत घिरी said

सच कहा मैम स्वार्थी प्राणी ने अनमोल प्रभु का भी मोल लगा दिया

वन्दना सूद replied

सही में sir दुख होता है यह सब देख कर

Lekhram Yadav said

वाह वन्दना जी क्या सुन्दर रचना पेश की है। आपने तो हम स्वार्थी प्राणियों में प्रकृति के प्रति प्रेम जगाने का सुन्दर एहसास करा दिया। आपको सादर प्रणाम।

वन्दना सूद replied

धन्यवाद sir 🙏😊

ताज मोहम्मद said

बहुत ही गहरा संदेश दिया आपने समाज को। बहुत ही सुंदर प्रस्तुति।

वन्दना सूद replied

धन्यवाद sir 🙏😊

Updesh Kumar Shakyawar said

Very True 👍 🙏🏻

वन्दना सूद replied

🙏🙏😊

कविताएं - शायरी - ग़ज़ल श्रेणी में अन्य रचनाऐं




लिखन्तु डॉट कॉम देगा आपको और आपकी रचनाओं को एक नया मुकाम - आप कविता, ग़ज़ल, शायरी, श्लोक, संस्कृत गीत, वास्तविक कहानियां, काल्पनिक कहानियां, कॉमिक्स, हाइकू कविता इत्यादि को हिंदी, संस्कृत, बांग्ला, उर्दू, इंग्लिश, सिंधी या अन्य किसी भाषा में भी likhantuofficial@gmail.com पर भेज सकते हैं।


लिखते रहिये, पढ़ते रहिये - लिखन्तु डॉट कॉम


© 2017 - 2025 लिखन्तु डॉट कॉम
Designed, Developed, Maintained & Powered By HTTPS://LETSWRITE.IN
Verified by:
Verified by Scam Adviser
   
Support Our Investors ABOUT US Feedback & Business रचना भेजें रजिस्टर लॉगिन