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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

तेरी ख़ामोशी का अल्फ़ाज़ बनना चाहती हूॅं

तेरे प्यार को अपनाना चाहती हूॅं मैं,
तेरी फितरत को समझना चाहती हूॅं मैं।

तू बता, क्या तू मुझे अपने साथ रखेगा?
तेरे साथ कदम से कदम मिलाकर
चलना चाहती हूॅं मैं।

तेरे दुःखों में तेरे साथ रहना चाहती हूॅं मैं,
तेरी खुशियों में भी शामिल होना चाहती हूॅं मैं।

तू बता, क्या तू मुझे अपने साथ रखेगा?
तेरी हर हरक़त में तेरा साथ निभाना चाहती हूॅं मैं।

तेरी ख़ामोशी का अल्फ़ाज़ बनना चाहती हूॅं मैं,
तेरी अच्छाइयां दुनियां को बताना चाहती हूॅं मैं,

तू बता, क्या तू मुझे अपने साथ रखेगा?
तेरे साथ तेरे ख़्वाबों, तेरे ख़यालों और हक़ीक़त
में रहना चाहती हूॅं मैं।

तेरी डायरी के पन्नों में शामिल होना चाहती हूॅं मैं,
तेरी हर गुफ़्तगू में नाम अपना चाहती हूॅं मैं।

तू बता, क्या तू मुझे अपने साथ रखेगा?
तेरे साथ बे- ख़ौफ़ जीना चाहती हूॅं मैं।
✍️💐 रीना कुमारी प्रजापत 💐✍️






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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Uttam rachna again 😲😲😲 wow. Bahut jyada achha likha magic pen 🖊️ hame bhi chahiye mam

रीना कुमारी प्रजापत replied

Thanku so much again✍️ magic pen already apke paas hai🙏🙏

Shyam Kumar said

Bahut bdiya likha..

रीना कुमारी प्रजापत replied

Shukriya sir ji

Lekhram Yadav said

क्यों नहीं मेरी प्यारी बहना, बेखौफ होकर जरूर जीओ, मगर मेरी छोटी बहन बन कर जीना होगा और इसी तरह कलम चलाते रहना होगा। आपसे बात करना मुझे अच्छा लगता है। धन्यवाद।

रीना कुमारी प्रजापत replied

जी बिल्कुल, बहुत बहुत आभार आपका 🙏 प्रणाम स्वीकार करें

Komal Raju said

तेरी खामोशी का अल्फाज बनना चाहती हूं बहुत सुंदर पंक्ति👏👏👏

रीना कुमारी प्रजापत replied

शुक्रिया

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