सत्य और असत्य
जो दिखता है,
वह सच नहीं,
प्रकृति का महज़ एक छलावा है ।
जो दिखता नहीं,
वही असीम सत्य है,
जिसे जानते समझते हुए भी
कोई मानना नहीं चाहता है।
ऐसे बन्धनों की डोर है,
जो दिखती तो है,
पर होती नहीं,
उन्हीं बन्धनों के बन्धन काटने की राह ही ज़िन्दगी हैं ।
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है