नई सुबह- डॉ एच सी विपिन कुमार जैन "विख्यात "
ओ नई सुबह,
तू आई।
नए सपनों का दिया जलाई,
अंधेरे की चादर छट गई।
रंग-बिरंगे ख्वाबों की,
बातें आई।
धूप की किरणों ने छुआ चेहरा,
नई उम्मीदों का दिया जलाया।
पंछियों का कलरव,
हवा का झोंका।
मन को शांत कर,
नया जीवन दिया।
फूलों ने मुस्कुराया,
पेड़ों ने झुकाया।
प्रकृति का सौंदर्य,
मन को मोह लिया।
नई सुबह का यह नज़ारा,
मन को शांत कर, जीवन को संवारा।