खत लिखने का सिलसिला
मोबाइल ने कर दिया खत्म
संस्थानों. कार्यालयों तक ही
सिमटे खतों के सभी कदम
कट और पेस्ट की रणनीति से
तंत्र भी चला रहा है सब काम
इस कारण यदा कदा ही दिखें
विचारों में नए शब्द या आयाम
आम आदमी की सोच समझ
को कंप्यूटर ने कर दिया कुंद
फिर भी इसी पर आश्रित हो
गए हैं सभी हुक्कामों के वृंद
दो दशकों में आपको दिखा न
होगा कहीं कोई नवीन उपाय
सब काम ही कंप्यूटरों के भरोसे
मानव हो गए बिल्कुल असहाय
बेरोजगारी का दायरा बढ़ता ही
जा रहा देश में साल दर साल
फिर भी सत्तानशीनों के समूह
बजाते रहते झूठे दावों से गाल
जो सभ्यता संस्कृति बचानी है
मानव श्रम को दीजिए महत्व
वरना आगे सुरक्षित नहीं रहेगा
मानव का ही खुद का अस्तित्व
----उमेश शुक्ला