बनना है तो शिव बनो
वर्ना जीवन में क्या रक्खा है।
मानवता की रक्षा के लिए
जिसने विष हलाहल पी रक्खा है।
जब जब भीड़ पड़ी धरती पर
तब तब प्रभु प्रकट हुए ।
भारत के सब दुखों को हरने
ऐश्वर्य संपदा को भरता में भरने
आदि नाथ तब प्रकट हुए।
लिया जो नाम शकर का प्रेम से
जिसने..
उनको प्रभु ने दरस दिया।
जीवन के दुखों की उनके
बस चुटकी में हर लिया।
और बिना बोले..
सुख सम्पदा ऐश्वर्य
सब उसमे भर दिया।
किसी से कोई चाह नहीं है।
बस प्यार प्रेम के भूखे हैं ।
ना कोई मेवा मलाई
प्रेम से जो भी मिला
वह सब कुछ खा लेते हैं।
बड़े मन भावन
पवित्र पावन
वो प्रभु सबको भातें हैं ।
शिव शम्भू सबके प्यारे हैं ।
हो गई जो एक बार दृष्टि
जिनपर उनके..
वारे न्यारे हो जातें हैं...
उनके वारे न्यारे हो जातें हैं..
वो परम आनंद पाते हैं ।
वो सबके आश्रय बन जातें हैं।
इस दुनिया में सब सुख भोगकर
वे स्वर्ग लोक को जातें हैं..
वे स्वर्ग लोक को जातें हैं...

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




