अब तो जाग, ऐ हिंदू! तू सोता रहा बहुत दिन,
तेरे ही घर में आग लगी, तू बैठा रहा मुनिन।
धर्म तेरा ललकार रहा है, गूंजे वेद पुराण,
रणभेरी बज उठी धरा पर, मांगे तुझसे जान।
त्रिशूल उठे, गदा चले फिर, छाया हो फिर तेज,
राम, कृष्ण, शिव बनो पुनः तुम, मत देखो अब भेष।
गौरवमयी वह गाथाएँ फिर से गाई जाएँ,
झाँसी वाली रानी जैसी बेटियाँ अब आएँ।
मंदिरों में दीप जले फिर, घंटों की वह तान,
गर्व से बोलो ‘जय श्रीराम’, हो ना कोई संकोच-ग्यान।
इतिहास जो तुझसे छीना, अब फिर से लिख डाले,
हर कण-कण में शक्ति तेरी, तू फिर से बेमिसाल।
आर्यत्व का स्वाभिमान ले, बढ़ चल धर्म की राह,
त्याग, तपस्या, वीरता का फिर कर सच्चा अर्थ साफ़।
तू ही रक्षक, तू ही युगधर्म, तू ही कर्ता आज,
अब ना कोई भ्रम में बहना, कर ले खुद से साज।
नंद किशोर