जीवन है एक अनसुलझी पहेली,
उलझे सूत सुलझाकर तो देखो,
जहां फूल,वहां कांटा संभावित,
गम में दामन सजा कर तो देखो,
फूलों से सजी संवरी सेज पर तो,
हंसते मुस्कराते है यहां बहुत लोग,
कंटकाकीर्ण त्रासद ताज पहनकर,
खुशहाली का सरोकार तो देखो,
बारिश उपरांत दिखता है इंद्रधनुष,
भीगे मोर को नाचते हुए तो देखो ,
कुछ असम्भव नहीं मनुष्य के लिए,
इच्छाशक्ति उत्पन्न करके तो देखो !
✒️राजेश कुमार कौशल
[हमीरपुर , हिमाचल प्रदेश]