एक दिन मैनें बचपन को बच्चो में देखा
चल रहे थे दोनो एक सडक पर
एक के कांधे पर बस्ता टंगा था
तो दूजे के कांधे पर था इक बोरा
दोनो निकले थे मंजिल की खोज मे
राहे एक थी दोनो की पंगडंडी भी एक थी लेकिन एक ने खोजा ज्ञान को
दूजे को मिली बस भूख थी
✍️अर्पिता पांडेय