तुम जो चाहो,इस जमीं पर,महताब लाकर रख दो
काली अंधेरी रात में, आफताब लाकर रख दो
भुजाओं में बल है, इच्छाएं प्रबल है
तुम जो चाहो, कारवां बेहिसाब लाकर रख दो
मुट्ठी में भरा है, सारा समंदर तुम्हारा है
जब चाहो, जहां चाहो, सैलाब लाकर रख दो
कभी कलंदर बनकर, कभी मसीहा बनकर
मुरझाई आंखों में,नये ख्वाब लाकर रख दो
बुलंदियां तुम्हारे आगे,सर झुका कर चले
हर जवां दिलों में, इंकलाब लाकर रख दो।
सर्वाधिकार अधीन है