अब कोशिश से हल नही हवा बदल रही।
साथ ना रह पाए शायद यही खलल रही।।
नजदीकियों में दूरियाँ धीरे-धीरे बढ़ गई।
वो दिन भी गया परिस्थिति पोल खोल रही।।
मुकद्दर को दोष देने वाले बुजदिल होंगे।
चाँद के आस-पास परिस्थिति माकूल रही।।
उसको है इंतजार मगर कहना कुबूल नही।
हौसले रख 'उपदेश' परिस्थिति बोल रही।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद