रिश्ते सिर्फ़ मुस्कानों से नहीं चलते, कभी-कभी गुस्सा और नाराज़गी भी ज़रूरी होती है..! जहाँ सच्चा प्रेम होता है, वहाँ हर भावना को अपनाया जाता है..!!
मगर जब प्रेम दिल से हो, तो 'ईगो' नहीं, अपनापन बोलता है..! शब्दों से ज़्यादा नज़रों की ख़ामोशी समझ आती है, और गलती होने पर हाथ पकड़कर कहना -'कोई बात नहीं' - रिश्तों को संभाल लेता है..!!
अपनी गलती मान लेना हार नहीं होती, बल्कि ये दिखाता है कि हम उस रिश्ते को कितना महत्व देते हैं..! गलतियाँ सभी से होती हैं, मगर उन्हें सुधारने का साहस सिर्फ़ वही करता है जो दिल से जुड़ा होता है..!!
क्योंकि अंत में - मायने रिश्तों को बचाने के होते हैं, न कि बहस को जीतने के..! कभी झुक कर देखो 'उपदे', सिर्फ़ रिश्ते नहीं, दिल भी जीत लोगे..!!
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद