कौन था वो? जो सपनों में मेरे आया था,
पता नहीं वो, जाने किसका साया था।
था वो मेरा आने वाला कल या फिर था मेरा
गुज़रा हुआ कल,
पता नहीं, वो कौन था? जो सपनों में मेरे आया था।।
जो भी था लग रहा अपना था,
पर वो तो मेरा सपना था।
हक़ीक़त में नहीं था जीवन में जो प्यार,
वो प्यार मुझे सपनों में दे रहा था।।
इतना सुकून मिला था उनसे मिलकर सपने में
मानो हर रिश्ता पूरा हो गया था,
आज मेरा वो अपना मुझे मिल गया था।
जो इंतज़ार था बरसों से मुझे,
मानो आज वो इंतज़ार ख़त्म हो गया था।।
था भले ही वो सपनों में पर खुशियां
बहुत दे गया था,
वो मेरा अपना मुझसे दिल का रिश्ता जोड़ गया था।
अब तो खुल गई थी नींद मेरी
फिर भी हक़ीक़त लगता है,
पर वो सपना अब ख़त्म हो गया था।।
- रीना कुमारी प्रजापत