काश ! तुमने देखा होता
आँखों में लाल लाल घाव को
गर्म हथेलियाँ सेंकने में सहयोग करती
तब आँखों से निकलती नमकीन बूंदें
डरकर सो गया उठता हुआ दर्द भी
सन्नाटों के शोर में कशमशाता
हवा के थपेड़ों से उघर गया जिस्म
कुछ और ज़ख़्म परत दर परत
चाहते मरहम लगवाना
काश ! रिश्ता समझा होता
तभी आहट महसूस हुई साँसों की
काश ! तुमने देखा होता
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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