तुम छू लो बुलंदियां आसमान की,
मैं चांद की तरह तुझमे छुप जाऊँगी।
गुरूर होता तो कब का छोड़ जाती,
तुम्हारें सामने 'उपदेश' झुक जाऊँगी।।
दर्द काग़ज़ पर लिखते की आदत हुई,
तन्हाई मे डूब कर लिखती जाऊँगी।
मेरा चुप रहना सेहत को अच्छा नही,
आवाज की कोशिश मे मर जाऊँगी।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद